Thursday 4 December 2014

भावनात्मक दमन और अकाल मृत्यु

नवीनतम अनुसंधान से पता चला है कि अपनी भावनाओं को लंबे समय तक दबाने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने अमेरिका में एक अध्ययन में यह पाया कि जो लोग नियमित रूप से अपनी भावनाओं को दबाते है उन लोगों कि अकाल मृत्यु की संभावना साधारण लोगों कि तुलना मै एक तिहाई अधिक हो जाती है। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि हम क्या सोच रहे है यह जताने मे असफलता से हृदय रोग से मौत के जोखिम मै 47 फीसदी और कैंसर से मरने के ख़तरे मै 70 प्रतिशत की वृद्धि होती है।  

मनोदैहिक अनुसंधान के जर्नल में प्रकाशित इस निष्कर्ष से ज्ञात हुआ कि भावनाओं को दबाने का दुश्परिणाम पहले जितना सोचा जाता था उससे कही अधिक गंभीर हैं । इन निष्कर्षों से भावनात्मक दमन और अकाल मृत्यु दर के बीच उच्च स्तर का सम्बन्ध मिला।

लोगों मै अपने ग़ुस्से को दबाने का सबसे बड़ा कारण दुसरो को परेशानी से बचाना पाया गया।  हम अपनी भावनाओं को दबाने के लिए ही शराब, सिगरेट या जंक फूड की मदद लेते है।

नकारात्मक विचारों को दबाने के तनाव से एड्रानालिन हार्मोन का ज़्यादा मात्रा मै रिसाव होता है जो शरीर मै उत्तेजना पैदा करता है और दिल और कैंसर के रोगों मै वृद्धि  करता है।

हम सब लोग छोटी उम्र में ही अपनी भावनाओं को छिपाना सीख लेते है जिसका नकारात्मक प्रभाव हमे पूरे जीवन मै भुगतना पड़ता है।  

दबी भावनाओ का ज़ाहिर होना स्वस्थ शरीर और सम्बन्धों के लिए बहुत आवश्यक है। परन्तु क्रोध और नाराज़गी कि अभिव्यक्ति हमे शांत और सभ्य तौर से ही करनी चाहिए। उत्तेजना से जतायी गयी दबी भावना हमे फ़ायदे के बदले ओर नुक़सान देती है। 

सीए दिनेश गुप्ता 

http://worldobserveronline.com/2013/09/07/dont-bottle-up-your-emotions-itll-knock-years-off-your-life-and-raise-cancer-risk-by-70-percent/?utm_source=taboola&utm_medium=referral

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