Monday 1 December 2014

एकादशी का उपवास

आज भारत कैलेंडर के अनुसार शुक्ल  पक्ष की एकादशी (11 वीं) तिथि है। आज चंद्रमा अपने पूरे आकार का लगभग 70%  है।

हम सबको श्रद्धा से आज एकादशी का उपवास रखना चाहिए। आदर्श रूप से आखिरी भोजन एकादशी के पिछले दिन दोपहर 3:00 बजे से पहले खा लेना चाहिए। इस प्रकार एकादशी के दौरान पेट में कोई अनाज अदपचा नहीं बचेगा।  

उपवास तीन स्तर पर रखा जा सकता है १) निर्जल २) केवल पानी पर ३) केवल फल पर। सभी प्रकार के अनाज, पका भोजन और दुध आदि अनाज एकादशी उपवास के दौरान निषिद्ध है। उपवास के स्तर का निर्णय हमे अपनी क्षमता अनुसार लेना चाहिए।   

उपवास से शरीर में ग्लूकोज़ कम हो जाता है।  फिर अपचेय प्रकिया से हमारे शरीर मै विद्यामान विषाक्त पदार्थों और कैंसर की कोशिकाओं की खपत शुरू हो जाती है। इसके बाद हमारे शरीर में जमा वसा ग्लूकोज़ मै परिवर्तित होता है ।

एकादशी का उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद हल्का भोजन से खोलना चाहिए।उपवास खोलने का समय चन्द्र दशा की गणना के अनुसार निर्धारित होता है।

एकादशी उपवास के कारण हमारे शरीर में विद्यामान अतिरिक्त कैलोरी, विषाक्त पदार्थों, वसा और अम्लता के पाचन से  हमारी चिंता, क्रोध, ईर्ष्या और अहंकार दूर हो जाता है।

उपवास रखना सभी के लिए बहुत ही आध्यात्मिक, सेहतवर्धक एवं ज्ञानवर्धक है। यह हमे सामाजिक प्रभुत्व, व्यापार वृद्धि एवं धन लाभ भी देता है।

प्रत्येक माह दो एकादशी के उपवास आते है, एक शुक्ल पक्ष ओर दूसरा कृष्ण पक्ष। यह दोनों व्रतों का हमारी भारतीय संस्कृति मै महत्वपूर्ण स्थान हैं। वर्ष २०१५ की आख़री एकादशी दिनांक 18 दिसंबर (कृष्ण पक्ष) है।  

विष्णु देवता के सभी भक्त श्रद्धा के साथ इस व्रत को रखते है क्योंकि यह उपवास हमारे शरीर का संरक्षण करता है।  एकादशी पर उपवास अगर श्रद्धा के साथ रखा जाए तो पापों का मोचन करता है और मोक्ष की प्राप्ति हेतु मदद करता है।
सीए दिनेश गुप्ता

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