Monday 13 February 2023

LEARNINGS FROM HISTORY

 इतिहास हमें इसलिए पढ़ाया जाता है ताकि हम उससे सीख लेकर वर्तमानमें कार्यरत होकर भविष्य के लिए तैयारी कर सके। 


🙏 800 साल तक अभेद्य रहे चितौड़गढ़ को तोप के अविष्कार के बाद छोड़ना पड़ा। इस घटना से हम क्या सीख लेसकते है?

🙏 16 मार्च 1927  के दिन खनवा के युद्ध में सौ युद्ध जीतने वाले राणा संगा की केवल मुग़लों की बंदूक़ और तोपों केकारण हुई हार से हम क्या सीख ले सकते है?

🙏सिंध(सन्712-रानी लाडी ), ग्वालियर(सन्1232), रन्थमबोर(सन्1301), चितौड़गढ़ (सन्1303-रानी पद्मिनीदिनांक15/3/1535-रानी कर्णावतीसन्1568) और अन्य भारत किलो में  मुग़लों और अरबी लोगों के कारण हुएअसंख्य बार हुए जौहरों से हम भविष्य के लिए क्या सीख ले सकते है।  

🙏200 साल अंग्रेज़ी की ग़ुलामी और कांग्रेस प्रायोजित विभाजन में हुए नरसंहार से हम क्या सीख ले सकते है?


भारत के इतिहास से प्रेरित होकर हम सब निम्नलिखित संकल्प लेकर भारत को विश्व गुरू बनाए:

🙏संकल्प ले कि हम भारत देश को अखण्ड रखेंगे। 

🙏संकल्प लें कि हम भारत भूमि की रक्षा अपने प्राणों से भी करनी पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। 

🙏संकल्प ले कि हम भारतीय संस्कृति को स्वयं अपना कर और दूसरों को अपनाने के लिए प्रेरित कर और भी मज़बूतकरेंगे। 

🙏संकल्प ले कि हम देश के लिए ईमानदारनिःस्वार्थमेहनतीनिडरऔर प्रगतिशील नेतृत्व ही चुनेंगे। 

🙏संकल्प लें कि हम गहन परिश्रम करके अपने व्यापार को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले कर जाएँगे और देश कीअर्थव्यवस्था को मज़बूत करेंगे। 

🙏संकल्प लें कि हम अपने-अपने कर आदि देकर देश की सैन्य शक्ति को आधुनिक और शक्तिशाली बनाएँगे। 

🙏संकल्प ले कि हम आयुर्वेद को अपना कर और प्रतिदिन योगध्यानप्राणायामव्यायाम करके स्वस्थ रहेंगे।

🙏संकल्प लें कि हम सुबह की धूप और रात में गाय के दुग्ध के सेवन से शक्तिशाली और निडर बनेंगे। 

🙏संकल्प ले कि हम सभी प्रकार के व्यसनों जैसे मदिरापानतम्बाकू के सेवन आदि से दूर रहेंगे  

🙏संकल्प लें कि हम प्रतिदिन मंदिर आदि ज़रूर जाएँगे और अपनी धार्मिक आस्था को और भी मज़बूत करेंगे। 

Thursday 1 January 2015

मै तुलसी तेरे आँगन की

मै तुलसी तेरे आँगन की

भारत मै तुलसी को भगवान के प्रसाद के रूप मै ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। 

भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है कि तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। तुलसी शरीर में एकत्र दूषित तत्व के निकालने मदद करती है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।

- तुलसी खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़, दूर्गंध, आंखोंकी बीमारी,  कफ और वात से संबंधित बीमारियों, बढ़ी पित्त, मूत्र से संबंधित बीमारियों, जहर का प्रभाव व पसली का दर्द, सभी प्रकार के दर्द में लाभकारी है। 

तुलसी की मुख्य जातियां- 

- रामा के पत्तों का रंग हल्का हरा होता है। इसलिए इसे गौरी कहा जाता है।

- श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है। इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है।

- तुलसी की एक जाति वन तुलसी है। इसमें जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है, लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है। आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है।

- एक अन्य जाति मरूवक है, जो कम ही पाई जाती है। राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है।


तुलसी के नुकसे 

- तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।

- तुलसी थकान मिटाने वाली एक औषधि है। तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।

-शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें, आराम मिलेगा।

- साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

- तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।

- तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है।

- चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है।

- फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।

-मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी - मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है। 

- प्रतिदिन 4- 5 बार तुलसी की 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।

- तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।

- किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। 

- दिल की बीमारी में यह अमृत है। यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।

- शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।






Wednesday 31 December 2014

मल मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी (Paush month shukla paksha Putrda Ekadashi)




आज मल मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी (Paush month shukla paksha Putrda Ekadashi) है। यह व्रत हमें अपने जीवनसाथी के साथ रखना चाहिए। हमें दशमी को केवल दोपहर तक ही भोजन करना चाहिए। एकादशी के दिन केवल जल लेना चाहिए। अगर व्रती मैं कमज़ोरी है तो संध्या काल मै फलाहार कर सकते हैं। द्वादशी तिथि को सूर्योदय तत्पश्चात भोजन करें।

यह सर्वमान्य है कि २५ धण्टे से ज़्यादा समय का व्रत रखने से शरीर में कफ नियंत्रित होता है, ख़ून का विषैलापन समाप्त होता है और कर्क रोग की कोशिकाये धुल जाती है। विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत को शास्त्रों एवं पुराणों में काफी महत्व दिया गया है। जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करते हैं उनका शारीरिक स्वास्थ्य, लौकिक और पारलकिक जीवन संवर जाता है।  एकादशी व्रत रखने वाला स्वयं भी सुख पाता हैं और दूसरों को भी सुखी रहने मदद करता है।  

वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष मे आने वाली सभी एकादशी का व्रत रखना चाहिए पर हम केवल अपनी विशेष कामना की पूर्ति से सम्बन्धित व्रत भी रख सकते हैं। हर एकादशी व्रत किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए होता है।  मल मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी (Paush month shukla paksha Putrda Ekadashi) का व्रत यशस्वी पुत्र प्राप्ति और परिवार के बच्चों मैं अच्छे संस्कार हेतु पति पत्नी द्वारा जोड़े में रखा जाता है। 

पुत्रदा एकादशी की कथा पद्म पुराण में वर्णित है। इस व्रत को दस विश्वदेव के कहने पर भद्रावती के राजा सुकेतु ने किया था। राजा सुकेतु प्रजा पालक और धर्मपरायण राजा थे। उनके राज्य में सभी जीव निर्भय एवं आन्नद से रहते थे, लेकिन राजा और रानी स्वयं यस्सवी पुत्र हीन थे। संयोगवश वहां उनकी मुलाकात ऋषि विश्वदेव से हुई    राजा ने अपना दु:ख विश्वदेव को बताया। राजा की दु:ख भरी बातें सुनकर विश्वदेव ने कहा राजन आप पष शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत कीजिए, इससे आपको यशस्वी पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। राजा ने ऋषि की सलाह मानकर व्रत किया और उनकी मनोकामना पूर्ण हुई। उनका राजकुमार बहुत ही प्रतिभावान और गुणवान हुआ वह अपने पिता के समान प्रजापालक और धर्मपरायण राजा हुआ।

धर्मराज युधिष्ठिर को श्री कृष्ण ने पोष माह की शुक्ल पुत्रदा एकादशी के विषय में ज्ञान दिया था। श्री कृष्ण कहते हैं जो इस व्रत का पालन करता है उसे ऐसे योग्य पुत्र का सुख प्राप्त होता है जो पिता एवं कुल की मर्यादा को बढ़ाता है।


Wednesday 17 December 2014

Saphal Ekadashi

Today is 18th Dec day of Saphal Ekadashi Fast of Krishan Paksh of Poush month 2014. Saphal Ekadashi fast as the name itself suggests, is observed to attain success in life & bring divinity to our house. 

Saphala Ekadashi Vrat, can be observed on only fruits or only  on water as per our individual capacity.  It is opened after sunrise on next day of dwadashi. 

Fasting for any period longer than 24hours burn toxins, cancer cells, waste body tissue & fatty tissue to generate heat & energy for body.

Even Lord Krishna has described the importance of fasting on Ekadashi day:
अश्वमेधसहस्राणि राजसूयशतानि च । एकादश्युपवासस्य कलां नार्हन्ति शोडशीम् ।।
Meaning:Not even thousand Ashvamedha Yagas or hundred Rajasuya Yagas would match the fast on an Ekadashi Day.

It is believed that by keeping Ekadashi fast in the Paush month, we get blessing of Lord Vishnu for a joyous life ahead.

According to the legend, Lumbaka, a prince, used to question the supremacy Vishnu. Lumbaka even killed innocent animals for meat.

Once, on the day of Paush Ekadashi, he fell ill and hence, unknowingly observed the Ekadashi vrat by abstaining from food throughout the day. Next day, he felt better and therefore, he realized blessing of Lord Vishnu had cured him. Thus, he became a reformed & successful person.
CA Dinesh Gupta

Friday 5 December 2014

कान पकड़ कर उठक बैठक



हमे स्कूल मै होमवर्क न करने पर कान पकड़ मुर्ग़ा बनना या उठक बैठक करना भुला नहीं होगा। 
अगर हमे अपने अध्यापक से ये सज़ा देने पर नाराज़गी है तो हम जानले हो सकता है कि आज हम जितने भी समझदार है वो उस दण्ड के कारण ही है। 
अमरीका मे हुई नवीनतम अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि इस प्राचीन योगिक क्रिया से हमारी बुद्धि का भरपुर विकास होता है।
भारत मै हर पुरानी सांस्कृति के पीछे गहरी विज्ञानिक सोच है।    

Thursday 4 December 2014

भावनात्मक दमन और अकाल मृत्यु

नवीनतम अनुसंधान से पता चला है कि अपनी भावनाओं को लंबे समय तक दबाने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने अमेरिका में एक अध्ययन में यह पाया कि जो लोग नियमित रूप से अपनी भावनाओं को दबाते है उन लोगों कि अकाल मृत्यु की संभावना साधारण लोगों कि तुलना मै एक तिहाई अधिक हो जाती है। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि हम क्या सोच रहे है यह जताने मे असफलता से हृदय रोग से मौत के जोखिम मै 47 फीसदी और कैंसर से मरने के ख़तरे मै 70 प्रतिशत की वृद्धि होती है।  

मनोदैहिक अनुसंधान के जर्नल में प्रकाशित इस निष्कर्ष से ज्ञात हुआ कि भावनाओं को दबाने का दुश्परिणाम पहले जितना सोचा जाता था उससे कही अधिक गंभीर हैं । इन निष्कर्षों से भावनात्मक दमन और अकाल मृत्यु दर के बीच उच्च स्तर का सम्बन्ध मिला।

लोगों मै अपने ग़ुस्से को दबाने का सबसे बड़ा कारण दुसरो को परेशानी से बचाना पाया गया।  हम अपनी भावनाओं को दबाने के लिए ही शराब, सिगरेट या जंक फूड की मदद लेते है।

नकारात्मक विचारों को दबाने के तनाव से एड्रानालिन हार्मोन का ज़्यादा मात्रा मै रिसाव होता है जो शरीर मै उत्तेजना पैदा करता है और दिल और कैंसर के रोगों मै वृद्धि  करता है।

हम सब लोग छोटी उम्र में ही अपनी भावनाओं को छिपाना सीख लेते है जिसका नकारात्मक प्रभाव हमे पूरे जीवन मै भुगतना पड़ता है।  

दबी भावनाओ का ज़ाहिर होना स्वस्थ शरीर और सम्बन्धों के लिए बहुत आवश्यक है। परन्तु क्रोध और नाराज़गी कि अभिव्यक्ति हमे शांत और सभ्य तौर से ही करनी चाहिए। उत्तेजना से जतायी गयी दबी भावना हमे फ़ायदे के बदले ओर नुक़सान देती है। 

सीए दिनेश गुप्ता 

http://worldobserveronline.com/2013/09/07/dont-bottle-up-your-emotions-itll-knock-years-off-your-life-and-raise-cancer-risk-by-70-percent/?utm_source=taboola&utm_medium=referral

Monday 1 December 2014

एकादशी का उपवास

आज भारत कैलेंडर के अनुसार शुक्ल  पक्ष की एकादशी (11 वीं) तिथि है। आज चंद्रमा अपने पूरे आकार का लगभग 70%  है।

हम सबको श्रद्धा से आज एकादशी का उपवास रखना चाहिए। आदर्श रूप से आखिरी भोजन एकादशी के पिछले दिन दोपहर 3:00 बजे से पहले खा लेना चाहिए। इस प्रकार एकादशी के दौरान पेट में कोई अनाज अदपचा नहीं बचेगा।  

उपवास तीन स्तर पर रखा जा सकता है १) निर्जल २) केवल पानी पर ३) केवल फल पर। सभी प्रकार के अनाज, पका भोजन और दुध आदि अनाज एकादशी उपवास के दौरान निषिद्ध है। उपवास के स्तर का निर्णय हमे अपनी क्षमता अनुसार लेना चाहिए।   

उपवास से शरीर में ग्लूकोज़ कम हो जाता है।  फिर अपचेय प्रकिया से हमारे शरीर मै विद्यामान विषाक्त पदार्थों और कैंसर की कोशिकाओं की खपत शुरू हो जाती है। इसके बाद हमारे शरीर में जमा वसा ग्लूकोज़ मै परिवर्तित होता है ।

एकादशी का उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद हल्का भोजन से खोलना चाहिए।उपवास खोलने का समय चन्द्र दशा की गणना के अनुसार निर्धारित होता है।

एकादशी उपवास के कारण हमारे शरीर में विद्यामान अतिरिक्त कैलोरी, विषाक्त पदार्थों, वसा और अम्लता के पाचन से  हमारी चिंता, क्रोध, ईर्ष्या और अहंकार दूर हो जाता है।

उपवास रखना सभी के लिए बहुत ही आध्यात्मिक, सेहतवर्धक एवं ज्ञानवर्धक है। यह हमे सामाजिक प्रभुत्व, व्यापार वृद्धि एवं धन लाभ भी देता है।

प्रत्येक माह दो एकादशी के उपवास आते है, एक शुक्ल पक्ष ओर दूसरा कृष्ण पक्ष। यह दोनों व्रतों का हमारी भारतीय संस्कृति मै महत्वपूर्ण स्थान हैं। वर्ष २०१५ की आख़री एकादशी दिनांक 18 दिसंबर (कृष्ण पक्ष) है।  

विष्णु देवता के सभी भक्त श्रद्धा के साथ इस व्रत को रखते है क्योंकि यह उपवास हमारे शरीर का संरक्षण करता है।  एकादशी पर उपवास अगर श्रद्धा के साथ रखा जाए तो पापों का मोचन करता है और मोक्ष की प्राप्ति हेतु मदद करता है।
सीए दिनेश गुप्ता